बहके कदम...। बहके कदम...।
क्या वास्तव में यह स्वप्न मात्र दिवास्वप्न बनकर रह जाने के लिए था? क्या हमारे वीरों और वीरांगनाओं ने... क्या वास्तव में यह स्वप्न मात्र दिवास्वप्न बनकर रह जाने के लिए था? क्या हमारे वी...
उनका साथ जैसे खुशबू बनकर उनके खून में दौड़ने लगा था। उनका साथ जैसे खुशबू बनकर उनके खून में दौड़ने लगा था।
रिश्तेदारों से घर खाली होते ही वो अपनी असलियत पर उतर आया। रिश्तेदारों से घर खाली होते ही वो अपनी असलियत पर उतर आया।
दादी ने मास्टरनी जी की बात समझते हुए कहा। दादी ने मास्टरनी जी की बात समझते हुए कहा।
भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान हमरे भरोसे बैठा होअगर इंसान चाहे तो अकेले ही क्या कुछ नहीं ... भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान हमरे भरोसे बैठा होअगर इंसान चाहे तो अके...